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एनडीआरएफ (NDRF)

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नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स एनडीआरएफ भारत की एक स्पेशल स्पेशलिस्ट फोर्स है जिसका काम भारत में आई हुई प्राकृतिक आपदाओं से नागरिकों की सुरक्षा और सहायता करना है । भारत में प्रत्येक वर्ष प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं जिसके कारण देश के नागरिकों को अपनी जान माल का बहुत नुकसान उठाना पड़ता था, इसके बाद भारत सरकार को एक ऐसे संगठन की आवश्यकता हुई जो इस प्राकृतिक आपदा में देश के नागरिकों की सुरक्षा और सहायता प्रदान कर सकें, भारत सरकार ने नेशनल डिजास्टर एक्ट 2005 के तहत नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स का गठन किया । आपदा के समय आने वाली विशेष प्रकार की परिस्थिति जैसे बाढ़ भूकंप भूस्खलन ओर तूफान जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए एनडीआरएफ के जवानों को विशेष प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है  मुख्यालय एनडीआरएफ का मुख्यालय नई दिल्ली में अंत्योदय भवन में स्थित है इसके प्रमुख देश के माननीय प्रधानमंत्री जी होते हैं। एनडीआरएफ का फुल नाम एनडीआरएफ का फुल फॉर्म नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स है (national disaster response force) हिंदी में इसका अर्थ  "राष्ट्रीय आपदा मोचन बल" है । आदर्श वाक्य  एनडीआर...

कविगुरु रविंद्रनाथ ठाकुर के अनमोल विचार एवं उनका जीवन परिचय

जीवन परिचय

कविगुरु रविंद्रनाथ ठाकुर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 7 मई 1816 को कोलकाता में हुआ । उनके पिता का नाम देवेंद्रनाथ टैगोर और उनकी माता का नाम शारदा देवी था । एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्मे टैगोर ने महज 8 साल की उम्र में कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था ।उनकी पहली कविता संग्रह मात्र 16 साल की उम्र में प्रकाशित हुई थी ।


विश्व विख्यात महाकाव्या गीतांजलि की रचना के लिए उन्हें 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया । साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले वह मात्र पहले भारतीय थे । साथ में वह दुनिया के ऐसे कवि हैं जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान है ।

1- भारत का राष्ट्रगान "जन गण मन"

2- बांग्लादेश का राष्ट्रगान "आमार सोनार बांग्ला"

साहित्य की शायद ही ऐसी कोई विधा है, जिनमें उनके रचना ना हो गान, कविता , नाटक , उपन्यास , शिल्पकला सभी विधाओं मे उनकी रचना विश्वविख्यात है । उनकी रचनाओं में   गीतांजलि, गीताली, कथा ओ कहानी,  शिशु,चोखेर बाली, गोरा, घरे बाइरे, काबुलीवाला, शिशु भोलानाथ, कणिका, क्षणिका, खेया आदि प्रमुख हैं। 

रविंद्रनाथ टैगोर मानवता को राष्ट्रवाद से ऊपर रखते थे । गुरुदेव ने कहा था "जब तक मैं जिंदा हूं मानवता के ऊपर देशभक्ति की जीत नहीं होने दूंगा ।"

7 अगस्त 1941 में उन्होंने कोलकाता में अपनी अंतिम सांस ली ।

आइए जानते हैं गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के द्वारा कहे गए अनमोल विचारों को ।

1- चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलता हैं परंतु अपना कलंक हमेशा अपने पास रखता है ।

2- जब मैं खुद हंसता हूं तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता है ।

3- खड़े होकर पानी देखने से आप समंदर पार नहीं कर सकते ।

4- यदि आप सभी गलतियों के लिए सारे दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जाएगा ।

5- जिस तरह घोसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है ।

6- तथ्य कहीं है, लेकिन सच एक ही है।

7- जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप से नहीं कह सकता, उसी को सबसे अधिक क्रोध आता है ।

8- मित्रता की गहराई परिचय की लंबाई पर निर्भर नहीं करती ।

9- जो कुछ हमारा है वो हम तक तभी पहुंचता है जब हम उसे ग्रहण करने की क्षमता विकसित करते हैं ।

10- वे लोग जो अच्छाई करने में बहुत ज्यादा व्यस्त होते हैं, स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाते ।

11- बर्तन में रखा पानी हमेशा चमकता है, और समुद्र का पानी हमेशा गहरे रंग का होता है, लघु सत्य के शब्द हमेशा स्पष्ठ होते हैं, महान सत्य मौन रहता है ।


भारत का राष्ट्रगान

जन-गण-मन अधिनायक जय हे

भारत भाग्य विधाता ।

पंजाब-सिन्धु-गुजरात-मराठा

द्राविड़-उत्कल-बंग ।

विंध्य हिमाचल यमुना गंगा

उच्‍छल जलधि तरंग ।

तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मांगे

गाहे तव जय-गाथा ।

जन-गण-मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता ।

जय हे, जय हे, जय हे, जय ! जय ! जय ! जय हे ।


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